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शनि महाराज के स्वयं भू प्रकट शिला दर्शन और उनका अभिषेक महाराष्ट्र के शनि सिंगणापुर में |
नवग्रहों में से सबसे शक्तिशाली और न्याय के देवता माने जाने वाले शनिदेव में सनातन धर्म के लोगो की गहरी आरस्था है। ज्योतिष में भी कहा जाता है कि शनि देव यदि प्रसन्न हैं तो आपका जीवन खुशियों से भर देंगे, लेकिन यदि उनकी दृष्टि वक्र हो गई तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। शनि की ढैया और साढ़े साती का प्रभाव भी मानव जीवन पर काफी बताया जाता है। यही कारण है कि शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए हजारों लोग रोजाना शनि महाराज के स्वयं भू प्रकट शिला के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने महाराष्ट्र के शनि सिंगणापुर पहुंचते हैं।
स्वयंभू शिला रूप में मौजूद हैं शनिदेव
यहां शनि देव एक काली शिला के रूप में चबूतरे पर खुले में विराजमान हैं। मंदिर पर कोई छत या चारों ओर कोई दीवार नहीं है। शिलारूप में मौजूद शनिदेव की प्रतिमा करीब 5 फीट 9 इंच ऊंची है। शिला के उऊपर एक कलश लटका हुआ है, जिसमें पाइप लाइन जुड़ी है, जिससे होकर श्रद्धालुओं द्वारा दूर से चढ़ाया गया तेल भी इस कलश में होकर शिला पर गिरता रहता है।
कैसे कर सकते हैँ अभिषेक
यहां दर्शन करने और अभिषेक पूजन करने के लिए कतारबद्ध होकर पहुंचकर चबूतरे के नीचे से ही तेल तथा पूजन सामग्री अर्पित की जाती है। यह तेल भी पाइप के माध्यम से शनिदेव की शिला के ऊपर लगे कलश में पहुंचता है, जहां से वह बूंद बूंदकर शनि शिला पर गिरता है, जिससे उनका अभिषेक होता रहता है। लेकिन यदि आपको खुद अपने हाथों से शनिदेव का अभिषेक और पूजा करना हो तो इसके लिए मंदिर कार्यालय में 500 रुपए की रसीद कटती है और उस रसीद को दिखाकर आप चबूतरे पर पहुंचकर अपने हाथों से शनिदेव की शिला का अभिषेक कर सकते हैं।
भव्य नवग्रह मंदिर
मंदिर परिसर अब बेहद सुंदर और भव्य हो गया है। यहां भव्य नवग्रह मंदिर भी बन चुका है। रोजाना हजारों लोग सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक शनि दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं और अपने संकट मुक्ति की अर्जी शनिदेव के आगे लगाते हैं। शनिश्चरी अमावस्या पर यहां सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। शनिदेव के इस मंदिर परिसर में अब अत्यंत भव्य निर्माण हो चुका है, रात को प्रकाश से पूरा परिसर जगमगाता नजर आता है। खासकर नवग्रह मंदिर बेहद खूबसूरत बनाया गया है। इसमें शनिदेव सहित सभी नौ ग्रहों का स्थान है। लेकिन लोगों की आस्था का केंद्र प्राचीन और स्वयंभू शिला ही है जिसके दर्शन और अभिषेक-पूजा की लालसा से लाखों लोग हीर साल यहां दौडं़े चले आते हैं।
कैसे पहुंचें
शनि शिंगणापुर पहुंचने के लिए शिर्डी, नासिक, अहमदनगर, पुणे और मुंबई आदि नगरों से आसानी से सडंक़ मार्ग से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसें, निजी बसें, कैब, टैक्सी आसानी से उपलब्ध रहती हैं। तो देर किस बात की, यदि आप की भी आस्था है और शनि देव के दŸरन करने की लालसा है तो चले आइए इस दिव्य और ऊर्जावान स्थान पर। यकीन मानिए शनिदेव के दर्शन आपको नई ऊर्जा से भर देंगे और आपके सारे संकट दूर होंगे।
घरों में कोई ताले नहीं लगाता
सिंगणापुर की एक और खास बात है कि इस गांव में कोई अपने घरों में ताले नहीं लगाता। कहीं भी जाना हो, रात हो या दिन, घर में ताले नहीं लगाए जाते। शनिदेव की कृपा कहें या यहां के लोगोंं की मनोवृत्ति कि इसके बावजूद यहां चोरी की वारदातें नहीं होतीं।
मंदिर कार्यालय में भी मिलता है तेल
शनि सिंगणापुर मंदिर के आसपास प्रसादी की अनेक दूकानेें हैं, यदि आप आसपास के किसी कैब या ऑटो से मंदिर परिसर पहुंचते है तो ज्यादातर ये कैब चालक और ऑटो चालक किसी खास दुकान के सामने आकर आपको उतरने के लिए कहते हैं। वहां हाथ पांव धोने और प्रसादी खरीदने के लिए कहा जाता है। यहां बता दें कि इनमें से कई जगह प्रसादी के साथ ही राशियों और ग्रहों के आडंबर को बताकर आपसे ज्यादा पैसे वसूलने का काम भी होता है। इसलिए संभलकर और सोच समझकर ही प्रसादी आदि की खरीददारी करें। जहां से आपका मन करे, वहीं से प्रसादी खरीदें। अभिषेक करने के लिए तेल शनि मंदिर परिसर में बने मंदिर के कार्यालय में भी उपलब्ध रहता है आप वहां से भी तेल खरीद सकते हैं। लेकिन पूजा के फूल, प्रसादी आदि आपको बाहर से ही लाना होगी। तो बनाइए प्रोग्राम और चले आइए न्याय के देवता के इस पावन स्थल पर और सारी बाधाओं से मुक्ति के लिए पूरी श्रद्धा से करें शनिदेव के दर्शन।
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